भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"पहाड़ / मंगलेश डबराल" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
पंक्ति 3: पंक्ति 3:
 
|रचनाकार=मंगलेश डबराल
 
|रचनाकार=मंगलेश डबराल
 
}}
 
}}
 +
{{KKCatKavita}}
 +
<poem> </poem>
 
पहाड़ पर चढ़ते हुए
 
पहाड़ पर चढ़ते हुए
  
पंक्ति 16: पंक्ति 18:
  
 
(रचनाकाल :1975)
 
(रचनाकाल :1975)
 +
</poem>

14:24, 20 जून 2020 का अवतरण

 

पहाड़ पर चढ़ते हुए

तुम्हारी साँस फूल जाती है

आवाज़ भर्राने लगती है

तुम्हारा क़द भी घिसने लगता है


पहाड़ तब भी है जब तुम नही हो ।


(रचनाकाल :1975) </poem>