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"नागार्जुन / शील" के अवतरणों में अंतर

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तुम्हारा तो...
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तुम्हारा तो
 
लोहा मान गए,
 
लोहा मान गए,
पितर पक्षीय सभ्यता के लोग।
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पितृपक्षी सभ्यता के लोग।
आज नहीं तो कल-
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भाई नागार्जुन !
परखेंगे, सूँघेंगे, संस्कृति की गंध।
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तुम्हारा तो-
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आज नहीं तो कल
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परखेंगे, सूँघेंगे,  
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संस्कृति की गन्ध
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भाई नागार्जुन !
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तुम्हारा तो
 
लोहा मान गए
 
लोहा मान गए
 
हज़ार-हज़ार चुनौतियों के प्रश्न।
 
हज़ार-हज़ार चुनौतियों के प्रश्न।
पक्ष या विपक्ष...
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पक्ष या विपक्ष
 
अपनपौ या विपनपौ में रहे
 
अपनपौ या विपनपौ में रहे
बात की बात रही - भाई नागार्जुन
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बात की बात रही
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भाई नागार्जुन !
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जियो सौ वर्ष पूरे, कालबद्ध करते।
 
जियो सौ वर्ष पूरे, कालबद्ध करते।
मेरा लोहा...
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मेरा लोहा
लोक-जीवन की जठराग्नि में तप रझा है
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लोक-जीवन की  
लाल हो रहा है भाई नागार्जुन!
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जठराग्नि में तप रहा है
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लाल हो रहा है — 
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भाई नागार्जुन !
 
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00:29, 29 जनवरी 2017 के समय का अवतरण

तुम्हारा तो —
लोहा मान गए,
पितृपक्षी सभ्यता के लोग।
भाई नागार्जुन !

आज नहीं तो कल —
परखेंगे, सूँघेंगे,
संस्कृति की गन्ध
भाई नागार्जुन !

तुम्हारा तो
लोहा मान गए
हज़ार-हज़ार चुनौतियों के प्रश्न।
पक्ष या विपक्ष —
अपनपौ या विपनपौ में रहे
बात की बात रही —
भाई नागार्जुन !

जियो सौ वर्ष पूरे, कालबद्ध करते।
मेरा लोहा —
लोक-जीवन की
जठराग्नि में तप रहा है
लाल हो रहा है —
भाई नागार्जुन !