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"नागार्जुन / शील" के अवतरणों में अंतर
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लोहा मान गए | लोहा मान गए | ||
हज़ार-हज़ार चुनौतियों के प्रश्न। | हज़ार-हज़ार चुनौतियों के प्रश्न। | ||
− | पक्ष या विपक्ष | + | पक्ष या विपक्ष — |
अपनपौ या विपनपौ में रहे | अपनपौ या विपनपौ में रहे | ||
− | बात की बात रही | + | बात की बात रही — |
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जियो सौ वर्ष पूरे, कालबद्ध करते। | जियो सौ वर्ष पूरे, कालबद्ध करते। | ||
− | मेरा लोहा | + | मेरा लोहा — |
− | लोक-जीवन की जठराग्नि में तप | + | लोक-जीवन की |
− | लाल हो रहा है भाई नागार्जुन! | + | जठराग्नि में तप रहा है |
+ | लाल हो रहा है — | ||
+ | भाई नागार्जुन ! | ||
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00:29, 29 जनवरी 2017 के समय का अवतरण
तुम्हारा तो —
लोहा मान गए,
पितृपक्षी सभ्यता के लोग।
भाई नागार्जुन !
आज नहीं तो कल —
परखेंगे, सूँघेंगे,
संस्कृति की गन्ध
भाई नागार्जुन !
तुम्हारा तो
लोहा मान गए
हज़ार-हज़ार चुनौतियों के प्रश्न।
पक्ष या विपक्ष —
अपनपौ या विपनपौ में रहे
बात की बात रही —
भाई नागार्जुन !
जियो सौ वर्ष पूरे, कालबद्ध करते।
मेरा लोहा —
लोक-जीवन की
जठराग्नि में तप रहा है
लाल हो रहा है —
भाई नागार्जुन !