भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"शिशिर में भवाली / रमेश कौशिक" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=रमेश कौशिक |संग्रह=चाहते तो... / रमेश कौशिक }} <poem> घा...) |
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) |
||
पंक्ति 14: | पंक्ति 14: | ||
नभ से उतर कर आयेगी | नभ से उतर कर आयेगी | ||
:::शिखर के कंगूरों | :::शिखर के कंगूरों | ||
− | + | :::तरुवरों | |
:::घर की छतों पर | :::घर की छतों पर | ||
− | + | :::कड़े सुखाएगी | |
</poem> | </poem> |
20:59, 22 जुलाई 2009 का अवतरण
घाटियों की बाल्टी में
बर्फ़
जैसे सर्फ़
अभी कुछ देर में
वह
नभ से उतर कर आयेगी
शिखर के कंगूरों
तरुवरों
घर की छतों पर
कड़े सुखाएगी