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रुमझुम बरसे बादरवा / रतन
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12:17, 23 जुलाई 2009
पिया घर आजा आजा, पिया घर आजा<br />
<br />
काले काले बादल
घीर घीर
घिर घिर
आ गये आ गये<br />ऐसे में तुम जाके
जुलम्वा
जुलमवा
ढा गये, ढा गये<br />
सावन कैसे बीते रे<br />
मैं कहाँ तुम कहाँ, हो मोरे राजा आजा<br />
अनिल जनविजय
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