भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"जीवन की कर्मभूमि / रामेश्वर काम्बोज ‘हिमांशु’" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
(नया पृष्ठ: {KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार= रामेश्वर काम्बोज 'हिमांशु' }} Category: मुक्तक <poem> जीव...)
 
पंक्ति 1: पंक्ति 1:
{KKGlobal}}
+
 
 
{{KKRachna
 
{{KKRachna
 
|रचनाकार= रामेश्वर काम्बोज 'हिमांशु'
 
|रचनाकार= रामेश्वर काम्बोज 'हिमांशु'

19:28, 26 जुलाई 2009 का अवतरण


जीवन की इस कर्मभूमि में ,
ठीक नहीं है बैठे रहना ।
बहुत ज़रूरी है जीवन में
सबकी सुनना ,अपनी कहना ।

सुख जो पाए हम मुस्काए,
आँसू आए उनको सहना ।
रुककर पानी सड़ जाता है,
नदी सरीखे निशदिन बहना
[21जून,2009 ]