भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"कबँ मिलिबो कबँ मिलिबो / बोधा" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
(नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=बोधा }} Category:पद <poeM>कबँ मिलिबो कबँ मिलिबो, यह धीरज ...)
 
 
पंक्ति 4: पंक्ति 4:
 
}}
 
}}
 
[[Category:पद]]
 
[[Category:पद]]
<poeM>कबँ मिलिबो कबँ मिलिबो, यह धीरज ही मैं धरैबो करै।
+
<poeM>
उर ते कइअिावै गरै ते फिरै, मन की मनहीं मैं सिरैबो करै॥
+
कबहूँ मिलिबो, कबहूँ मिलिबो, यह धीरज ही मैं धरैबो करै।
 
+
उर ते कढ़ि आवै गरै तें फिरै, मन की मनहीं मैं सिरैबो करै॥
'कवि बोधा न चाउसरी कबँ, नितहीं हरवा सो हिरैबो करै।
+
'कवि बोधा' न चाउसरी कबहूँ, नित की हरवा सो हिरैबो करै।
सहते ही बनै कहते न बनै, मनहीं मन पीर पिरैबो करै॥
+
सहते ही बनै, कहते न बनै, मन ही मन पीर पिरैबो करै॥
 
+
</poem>
 
+
</poeM>
+

21:27, 13 नवम्बर 2009 के समय का अवतरण

कबहूँ मिलिबो, कबहूँ मिलिबो, यह धीरज ही मैं धरैबो करै।
उर ते कढ़ि आवै गरै तें फिरै, मन की मनहीं मैं सिरैबो करै॥
'कवि बोधा' न चाउसरी कबहूँ, नित की हरवा सो हिरैबो करै।
सहते ही बनै, कहते न बनै, मन ही मन पीर पिरैबो करै॥