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छीत स्वामी भी अष्टछाप के आठ कवियों में से एक हैं। इनका जन्म 1510 ई. के आसपास माना जाता है। ये मथुरा के पंडा थे तथा आरंभ में उद्दंड प्रकृति के थे। बाद में ये कृष्ण के अनन्य भक्त हो गए। विट्ठलनाथजी ने इन्हें दीक्षा दी। इन्हें ब्रजभूमि से अत्यंत प्रेम था। इनके स्फुट पद ही प्राप्त हैं, जिनमें कृष्ण की लीलाओं का सरस एवं संजीव वर्णन मिलता है।
 
छीत स्वामी भी अष्टछाप के आठ कवियों में से एक हैं। इनका जन्म 1510 ई. के आसपास माना जाता है। ये मथुरा के पंडा थे तथा आरंभ में उद्दंड प्रकृति के थे। बाद में ये कृष्ण के अनन्य भक्त हो गए। विट्ठलनाथजी ने इन्हें दीक्षा दी। इन्हें ब्रजभूमि से अत्यंत प्रेम था। इनके स्फुट पद ही प्राप्त हैं, जिनमें कृष्ण की लीलाओं का सरस एवं संजीव वर्णन मिलता है।

23:23, 5 अगस्त 2009 के समय का अवतरण

छीत स्वामी भी अष्टछाप के आठ कवियों में से एक हैं। इनका जन्म 1510 ई. के आसपास माना जाता है। ये मथुरा के पंडा थे तथा आरंभ में उद्दंड प्रकृति के थे। बाद में ये कृष्ण के अनन्य भक्त हो गए। विट्ठलनाथजी ने इन्हें दीक्षा दी। इन्हें ब्रजभूमि से अत्यंत प्रेम था। इनके स्फुट पद ही प्राप्त हैं, जिनमें कृष्ण की लीलाओं का सरस एवं संजीव वर्णन मिलता है।