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"त्रिवेणी न. 7-8 / गुलज़ार" के अवतरणों में अंतर
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21:22, 26 अगस्त 2009 के समय का अवतरण
7.
गोले, बारूद, आग, बम, नारे
बाज़ी आतिश की शहर में गर्म है
बंध खोलो कि आज सब "बंद" है
8.
रात के पेड़ पे कल ही तो उसे देखा था -
चाँद बस गिरने ही वाला था फ़लक से पक कर
सूरज आया था, ज़रा उसकी तलाशी लेना