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"मातृ सूक्‍त / गिरधर राठी" के अवतरणों में अंतर

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पूर्ण के भीतर से पूर्ण के निकलने पर
 
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पूर्ण ही बचेगा
 
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निकले हुए पूर्ण के भीतर से निकलेगा
 
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पूर्ण
 
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होती रहेगी परिक्रमा पूर्ण की
 
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यही है विधान
 
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किन्तु यह विधि का
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पूर्णांक होकर भी
 
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कोई हो जाता है कनसुरा
 
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कोई कर्कश कोई करूणाविहीन...
 
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इस तरह विधाता को पूर्णता लौटाकर
 
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आधे-अधूरे हम सब
 
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रखते हैं उस को प्रसन्न!
रखते हैं उस को प्रसन्‍न !
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22:46, 4 सितम्बर 2009 के समय का अवतरण

वह पूर्ण है
उसके भीतर से
निकलेगा पूर्ण

पूर्ण के भीतर से पूर्ण के निकलने पर
पूर्ण ही बचेगा
निकले हुए पूर्ण के भीतर से निकलेगा
पूर्ण

होती रहेगी परिक्रमा पूर्ण की
यही है विधान
किन्तु यह विधि का
अविकल उपहास है
इसीलिए
पूर्णांक होकर भी
कोई हो जाता है कनसुरा
कोई कर्कश कोई करूणाविहीन...


इस तरह विधाता को पूर्णता लौटाकर
आधे-अधूरे हम सब
रखते हैं उस को प्रसन्न!