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Kartik ki ek husmukh subah,
 
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abhi jaise ganga tatt se lot ti  
 
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suvasit bhigi hawayen
 
suvasit bhigi hawayen
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sada paawan maa srikhi.....
 
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soya dekh mujhe jagati ho
 
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siraane rakh kuch phool harsingar ke
 
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baal bikhare hue tanik swar ke.
 
baal bikhare hue tanik swar ke.
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(Purani X kaksha ki NCERT Pustak ke akhri panno me kahi yeh kavita mujhe bahut priay thi  
 
(Purani X kaksha ki NCERT Pustak ke akhri panno me kahi yeh kavita mujhe bahut priay thi  
 
par ab kuch pankitiyan aur lekhak yaad nahi)
 
par ab kuch pankitiyan aur lekhak yaad nahi)
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---Saurabh द्वारा अनुरोधित
 
---Saurabh द्वारा अनुरोधित

19:26, 5 जनवरी 2007 का अवतरण

यदि आप किसी कविता विशेष को खोज रहे हैं तो उस कविता के बारे में आप इस पन्ने पर लिख सकते हैं। कविता के बारे में जितनी सूचना आप दे सकते हैं उतनी अवश्य दें -जैसे कि कविता का शीर्षक और लेखक का नाम।

यदि आप में से किसी के पास इस पन्ने पर अनुरोधित कोई कविता है तो कृपया उसे इस पन्ने के अंत में जोड़ दें -अथवा उसे kavitakosh@gmail.com पर भेज दें। आपका यह योगदान प्रशंसनीय होगा।

इस पन्ने पर से आप कुछ भी मिटायें नहीं -आप इसमें जो जोड़ना चाहते हैं वह इस पन्ने के अंत में जोड़ दें।

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निम्नलिखित कविताओं की आवश्यकता है:

  • निराशावादी (लेखक: हरिवंशराय बच्चन)
  • ना मैं सो रहा हूँ ना तुम सो रही हो, मगर बीच में यामिनी ढल रही है (लेखक: हरिवंशराय बच्चन)
  • hum karen rashtra aaradhan (lekhak: jai shankar prasad)
  • मैं तो वही खिलौना लूँगा (शब्द कुछ कुछ ऐसे हैं और लेखिका शायद सुभद्राकुमारी चौहान हैं) --रोहित द्वारा अनुरोधित --ललित कुमार
  • Thaal sajaakar kise poojane, Chale pratahee matawaale Kahaan chale tum raam naam kaa Peetamber tan par daale -- Himansu Pathak dwara anurodhit

Kartik ki ek husmukh subah,

abhi jaise ganga tatt se lot ti

suvasit bhigi hawayen

sada paawan maa srikhi.....

......... soya dekh mujhe jagati ho

siraane rakh kuch phool harsingar ke

baal bikhare hue tanik swar ke.


(Purani X kaksha ki NCERT Pustak ke akhri panno me kahi yeh kavita mujhe bahut priay thi par ab kuch pankitiyan aur lekhak yaad nahi)


---Saurabh द्वारा अनुरोधित


भारत-भारती की इन कविताओं को जोड़ने का कष्ट करें।

-- अनुनाद


१। मानस भवन में आर्य जन

जिसकी उतारें आरती

भगवान भारतवर्ष में

गूँजे हमारी भारती|

हो भव्य भावोद्भाविनी

ये भारती हे भगवते

सीतापते, सीतापते

गीतामते, गीतामते।


२। हम कौन थे क्या हो गए हैं

और क्या होंगे अभी

आओ बिचारें आज मिल कर

ये समस्याएं सभी।


३। केवल पतंग विहंगमों में

जलचरों में नाव ही

बस भोजनार्थ चतुष्पदों में

चारपाई बच रही।


४। श्रीमान शिक्षा दें अगर

तो श्रीमती कहतीं यही

छेड़ो न लल्ला को हमारे

नौकरी करनी नहीं।

शिक्षे, तुम्हारा नाश हो

तुम नौकरी के हित बनी।

लो, मूर्खते जीवित रहो

रक्षक तुम्हारे हैं धनी।

---

अब तो उठो, हे बंधुओं! निज देश की जय बोल दो;

बनने लगें सब वस्तुएं, कल-कारखाने खोल दो।

जावे यहां से और कच्चा माल अब बाहर नहीं -

हो 'मेड इन' के बाद बस 'इण्डिया' ही सब कहीं।'

             भारत-भारती, भ.खण्ड 80, पृ. 154


श्री गोखले गांधी-सदृश नेता महा मतिमान है,

वक्ता विजय-घोषक हमारे श्री सुरेन्द्र समान है।

        भारत-भारती, भविष्य खण्ड 128, पृ.163