भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"बेताल कथा-27 / अवतार एनगिल" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
(नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=अवतार एनगिल |संग्रह=मनखान आएगा /अवतार एनगिल }} <poem> ...)
 
 
पंक्ति 4: पंक्ति 4:
 
|संग्रह=मनखान आएगा /अवतार एनगिल
 
|संग्रह=मनखान आएगा /अवतार एनगिल
 
}}
 
}}
 +
{{KKCatKavita}}
 
<poem>
 
<poem>
 
रात के सन्नाटे को
 
रात के सन्नाटे को

02:19, 9 नवम्बर 2009 के समय का अवतरण

रात के सन्नाटे को
मौन के मंत्र से भेदते हुए
विक्रमार्क पुन: जंगल गया
पेड़ निहारा
बेताल का शव उतारा
और कधे पर लाद कर
श्मशान की तरफ
चल दिये।

तब मुर्दा बोला :
राज हठ
सचमुच बिना मोल के बिकता है
पर यह तो बताओ राजा कि तुम्हें
रात के अंधेरे में
कैसे दिखता है?

अपने बारे में तुम नहीं बोलोगे
पर मैं जानता हूँ
कि लोगों के पास
केवल आँखें होती हैं
जबकि तुम्हारे पास दृष्टि है
हे राजन !
क्या कारण है
कि अन्धा व्यक्ति
कभी रास्ते से नहीं भटकता
जबकि आँख वाला आदमी
अक्सर अँधा हो जाता है
धृतराष्ट्र फिर फिर पैदा होते हैं
और हर बार
महर्षि व्यास
महाभारत का दुःख रोते हैं

ज़िद्दी राजा
यदि जान-बूझकर
तुमने मेरे प्रश्न का उत्तर न दिया
तो तुम्हारा ज्ञानी मस्तक
लाखों टुकड़ों में बंटकर
दसों दिशाओं में बिखर जाएगा

तब बोले विक्रम :
हे पेड़ पर लटकते हुए प्रश्न
यह राजा भी तो/प्रश्न की तालाश में
धरती पर भटकता हुआ उत्तर है

तुमने सच कहा
अंधा व्यक्ति कभी रास्ते से नहीं भटकता
पर आँख वाला आदमी
अक़्सर अँधा हो जाता है

हे प्रश्न !
रानी जब आँखों पर पट्टी बाँधती है
अंधा राजा जीते जी मर जाता है
धृतराष्ट्र तो एक कुरुक्षेत्र हारा था
अँधा आदमी हर युद्ध हारता है
कमज़ोर पत्नि को जूते से मारता है
कुतिया बीवी की जूती चाटता है
आमदन खर्च की नदी पाटता है
और एक दिन
उसी नदी में डूबकर
भूखी मछलियों के पेट में
जा पहुँचता है
और नदी तैर निकले
तो सजायाफता आसमान तले
मण्डराते गिद्धों में घिर जाता है
और यदि कहीं
आदमख़ोर आदमियों की मण्डी में
खुद जाकर
बिक जाता है
यह जानते हुए भी
कि बिकने का दुःख
मरने के दुःख से कहीं बड़ा है

अनपढ़ सूरदास तो
टटोलता हुआ भी
बच निकलता है
भिखारी भीख लेकर भी दास नहीं बनता
पर बिकाऊ विद्वान
गड्ढे में गिर जाता है
यहीं पहुंचकर
आँख वाला आदमी
अंधा होता है
और महर्षि व्यास
महाभारत का दुःख रोता है
विक्रमार्क क्आ मौन टूटा
बेताल राजा के कंधे से छूटा
और वापस जाकर
पेड़ पर लटक गया
एक बार फिर/फिर एक बार
जिज्ञासु राजा
शब्दों की घाटी में
भटक गया।