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"हारता हुआ आदमी" के अवतरणों में अंतर
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दुश्मनों का कहना है | दुश्मनों का कहना है |
13:40, 6 नवम्बर 2009 के समय का अवतरण
हर व्यक्ति हार रहा है
ऊँचे शिखर से एकाएक
उसका पांव फिसला है
उसेक गले की शोभा बनीं फूलमालाएं
धूल में छितरा गई हैं
वह ढलान पर लुढ़क रहा है
उसका एक जूता नाली में गिर गया है
दोस्त शर्मिन्दा हैं
उन्होंने पहचाना है
आज
उसे प-ह-ली बार
दुश्मनों का कहना है
कि अबकी बार/उसकी अपनी बौखलाहट
उनकी कारगुज़ारियों को बेपर्द कर गईं
पैंब के पैग़म्बर कहते हैं
कि वे जानते थे शुरू से
इसी ने
यही था
यही तो !
हालांकि
बात सिर्फ इतनी है
कि ऐसा सदैव हुआ है
जब-जब सूरज डूबा है
हमने पीठ फेर ली है