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"मैं भी शायद बुरा नहीं होता / बशीर बद्र" के अवतरणों में अंतर
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19:53, 22 सितम्बर 2008 का अवतरण
रचनाकार: बशीर बद्र
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कोई काँटा चुभा नहीं होता,
दिल अगर फूल सा नहीं होता,
मैं भी शायद बुरा नहीं होता
वो अगर बेवफ़ा नहीं होता
बेवफ़ा बेवफ़ा नहीं होता
ख़त्म ये फ़ासला नहीं होता
कुछ तो मजबूरियाँ रही होंगी
यूँ कोई बेवफ़ा नहीं होता
जी बहुत चाहता है सच बोलें
क्या करें हौसला नहीं होता
रात का इंतज़ार कौन करे
आज-कल दिन में क्या नहीं होता
गुफ़्तगू उन से रोज़ होती है
मुद्दतों सामना नहीं होता