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20:47, 9 नवम्बर 2009 के समय का अवतरण
दो देशों की दूरियाँ लाँघकर
आज जब अचानक
तुम्हारा संदेशा आया
मैंने जाना
कि समय की सीपी से
याद का मोती निकाल
वह जो मैंने गूँथी थी
नेह के धागे से,
वह सच्चे मोतियों की माला थी।
	
	