Changes

उत्तर / महादेवी वर्मा

86 bytes removed, 20:54, 20 सितम्बर 2009
|संग्रह=नीहार / महादेवी वर्मा
}}
<poem>इस एक बूँद आँसू में<br>चाहे साम्राज्य बहा दो<br>,वरदानों की वर्षा से<br>यह सूनापन बिखरा दो<br><br>;
इच्छा‌ओं की कम्पन से<br>सोता एकान्त जगा दो,<br>आशा की मुस्कराहट मुस्काहट पर<br>मेरा नैराश्य लुटा दो ।<br><br>
चाहे जर्जर तारों में<br>अपना मानस उलझा दो,<br>इन पलकों के प्यालो में<br>सुख का आसव छलका दो<br><br>;
मेरे बिखरे प्राणों में<br>सारी करुणा ढुलका दो,<br>मेरी छोटी सीमा में<br>अपना अस्तित्व मिटा दो !<br><br>
पर शेष नहीं होगी यह<br>मेरे प्राणों की क्रीड़ा,<br>तुमको पीड़ा में ढूँढा<br>तुम में ढूँढूँगी पीड़ा ! <br><br/poem>
Delete, KKSahayogi, Mover, Protect, Reupload, Uploader
19,164
edits