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सिखाने जीवन का संगीत
 
सिखाने जीवन का संगीत
 
तभी तुम आये थे इस पार।
 
तभी तुम आये थे इस पार।
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बिछाती थी सपनों के जाल
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तुम्हारी वह करुणा की कोर,
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गई वह अधरों की मुस्कान
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मुझे मधुमय पीडा़ में बोर;
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भूलती थी मैं सीखे राग
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बिछलते थे कर बारम्बार,
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तुम्हें तब आता था करुणेश!
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उन्हीं मेरी भूलों पर प्यार!
  
  
 
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00:10, 20 सितम्बर 2009 का अवतरण

निशा को, धो देता राकेश
चाँदनी में जब अलकें खोल,
कली से कहता था मधुमास
’बता दो मधुमदिरा का मोल’;

भटक जाता था पागल बात
धूल में तुहिन कणों के हार;
सिखाने जीवन का संगीत
तभी तुम आये थे इस पार।

बिछाती थी सपनों के जाल
तुम्हारी वह करुणा की कोर,
गई वह अधरों की मुस्कान
मुझे मधुमय पीडा़ में बोर;

भूलती थी मैं सीखे राग
बिछलते थे कर बारम्बार,
तुम्हें तब आता था करुणेश!
उन्हीं मेरी भूलों पर प्यार!