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"एक कुंज / बाबू महेश नारायण" के अवतरणों में अंतर
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18:27, 20 सितम्बर 2009 के समय का अवतरण
एक कुंज,
बहुत गुंज,
पेड़ों से घिरा था
झरने के बग़ल में
बिजली की चमक भी न पहुँचती थी वहाँ तक
ऐसा वह घिरा था
जस दीप हो जल में
पानी की टपक राह भला पावे कहाँ तक।