भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"यदि तुम चाहते हो / अब्दुल्ला पेसिऊ" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
(नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKAnooditRachna |रचनाकार=अब्दुल्ला पेसिऊ |संग्रह= }} Category:अरबी भाषा <Poem> ...)
 
 
पंक्ति 23: पंक्ति 23:
 
उस क़ैदी परिन्दे को  
 
उस क़ैदी परिन्दे को  
 
जिसने घोंसला सजा रखा है  
 
जिसने घोंसला सजा रखा है  
मेरी जीभ पर।  
+
मेरी जीभ पर।  
 +
 
 +
'''अंग्रेज़ी से अनुवाद : यादवेन्द्र'''
 
</poem>
 
</poem>

11:33, 26 सितम्बर 2009 के समय का अवतरण

मुखपृष्ठ  » रचनाकारों की सूची  » रचनाकार: अब्दुल्ला पेसिऊ  » यदि तुम चाहते हो

यदि तुम चाहते हो
कि बच्चों के बिछौने पर
खिल-खिल जाएँ गुलाबी फूल
 
यदि तुम चाहते हो
कि लद जाए तुम्हारा बगीचा
किस्म किस्म के फूलों से
 
यदि तुम चाहते हो
कि घने काले मेघ आ जाएँ खेतों तक
पैगाम लेकर हरियाली का
और हौले-हौले खोले
मुंदी हुई पलकें बसंत की

तो तुम्हें आज़ाद करना ही होगा
उस क़ैदी परिन्दे को
जिसने घोंसला सजा रखा है
मेरी जीभ पर।

 अंग्रेज़ी से अनुवाद : यादवेन्द्र