भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"जन्म दिन फिर आ रहा है / हरिवंशराय बच्चन" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
(नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=हरिवंशराय बच्चन |संग्रह=एकांत-संगीत / हरिवंशरा...)
 
 
पंक्ति 4: पंक्ति 4:
 
|संग्रह=एकांत-संगीत / हरिवंशराय बच्चन
 
|संग्रह=एकांत-संगीत / हरिवंशराय बच्चन
 
}}
 
}}
 +
{{KKCatKavita}}
 
<poem>
 
<poem>
 
जन्म दिन फिर आ रहा है!
 
जन्म दिन फिर आ रहा है!

14:16, 28 सितम्बर 2009 के समय का अवतरण

जन्म दिन फिर आ रहा है!

हूँ नहीं वह काल भूला,
जब खुशी के साथ फूला
सोचता था जन्मदिन उपहार नूतन ला रहा है!
जन्म दिन फिर आ रहा है!

वर्षदिन फिर शोक लाया,
सोच दृग में नीर छाया,
बढ़ रहा हूँ-भ्रम मुझे कटु काल खाता जा रहा है!
जन्म दिन फिर आ रहा है!

वर्षगाँठों पर मुदित मन,
मैं पुनः पर अन्य कारण-
दुखद जीवन का निकटतर अंत आता जा रहा है!
जन्म दिन फिर आ रहा है!