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"दिन जल्दी जल्दी ढलता है / हरिवंशराय बच्चन" के अवतरणों में अंतर

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दिन जल्दी-जल्दी ढलता है!
 
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हो जाए न पथ में रात कहीं,
 
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मंजिल भी तो है दूर नहीं-
 
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यह सोच थका दिन का पंथी भी जल्दी-जल्दी चलता है!
 
यह सोच थका दिन का पंथी भी जल्दी-जल्दी चलता है!
 
 
दिन जल्दी-जल्दी ढलता है!
 
दिन जल्दी-जल्दी ढलता है!
 
  
 
बच्चे प्रत्याशा में होंगे,
 
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नीड़ों से झाँक रहे होंगे--
 
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यह ध्यान परों में चिड़ियों के भरता कितनी चंचलता है!
 
यह ध्यान परों में चिड़ियों के भरता कितनी चंचलता है!
 
 
दिन जल्दी-जल्दी ढलता है!
 
दिन जल्दी-जल्दी ढलता है!
 
  
 
मुझसे मिलने को कौन विकल?
 
मुझसे मिलने को कौन विकल?
 
 
मैं होऊँ किसके हित चंचल?--
 
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यह प्रश्न शिथिल करता पद को, भरता उर में विह्वलता है!
 
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दिन जल्दी-जल्दी ढलता है!
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10:15, 3 अक्टूबर 2009 का अवतरण

दिन जल्दी-जल्दी ढलता है!

हो जाए न पथ में रात कहीं,
मंजिल भी तो है दूर नहीं-
यह सोच थका दिन का पंथी भी जल्दी-जल्दी चलता है!
दिन जल्दी-जल्दी ढलता है!

बच्चे प्रत्याशा में होंगे,
नीड़ों से झाँक रहे होंगे--
यह ध्यान परों में चिड़ियों के भरता कितनी चंचलता है!
दिन जल्दी-जल्दी ढलता है!

मुझसे मिलने को कौन विकल?
मैं होऊँ किसके हित चंचल?--
यह प्रश्न शिथिल करता पद को, भरता उर में विह्वलता है!
दिन जल्दी-जल्दी ढलता है!