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"आस्था-2 / राजीव रंजन प्रसाद" के अवतरणों में अंतर

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ये कैसी आस्था?
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15:52, 30 सितम्बर 2009 का अवतरण

हमारे बीच बहुत कुछ टूट गया है
हमारे भीतर बहुत कुछ छूट गया है
कैसे दर्द नें तराश कर बुत बना दिया हमें
और तनहाई हमसे लिपट कर
हमारे दिलों की हथेलियाँ मिलानें को तत्पर है
पत्थर फिर बोलेंगे
ये कैसी आस्था?