Changes

<poem>
जागना अपराध!
इस विजन बन -वन गोद में सखि,
मुक्ति-बन्धन-मोद में सखि,
विष-प्रहार-प्रमोद में सखि,
कस्र्ण धन-सी,
तरल घन -सी
सिसकियों के सधन बनसघन वन-सी,
श्याम-सी,
ताजे, कटे-से,
पुस्र्ष या पशु
आय चाहे जाय,
खोलती सी जायशाप,
कसकर बाँधती वरदान-
पाप में-
Delete, KKSahayogi, Mover, Protect, Reupload, Uploader
19,393
edits