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"मातृ वंदना / सूर्यकांत त्रिपाठी "निराला"" के अवतरणों में अंतर
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बलि हों तेरे चरणों पर, माँ | बलि हों तेरे चरणों पर, माँ | ||
मेरे श्रम सिंचित सब फल। | मेरे श्रम सिंचित सब फल। | ||
− | जीवन के रथ पर | + | जीवन के रथ पर चढ़कर |
सदा मृत्यु पथ पर बढ़ कर | सदा मृत्यु पथ पर बढ़ कर | ||
महाकाल के खरतर शर सह | महाकाल के खरतर शर सह | ||
− | सकूँ, मुझे तू कर | + | सकूँ, मुझे तू कर दृढ़तर; |
जागे मेरे उर में तेरी | जागे मेरे उर में तेरी | ||
मूर्ति अश्रु जल धौत विमल | मूर्ति अश्रु जल धौत विमल | ||
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जननि, जन्म श्रम संचित पल। | जननि, जन्म श्रम संचित पल। | ||
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देखूँ तुझे नयन मन भर | देखूँ तुझे नयन मन भर | ||
मुझे देख तू सजल दृगों से | मुझे देख तू सजल दृगों से | ||
− | अपलक, उर के शतदल पर | + | अपलक, उर के शतदल पर; |
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क्लेद युक्त, अपना तन दूंगा | क्लेद युक्त, अपना तन दूंगा | ||
मुक्त करूंगा तुझे अटल | मुक्त करूंगा तुझे अटल | ||
तेरे चरणों पर दे कर बलि | तेरे चरणों पर दे कर बलि | ||
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10:29, 12 अक्टूबर 2009 का अवतरण
नर जीवन के स्वार्थ सकल
बलि हों तेरे चरणों पर, माँ
मेरे श्रम सिंचित सब फल।
जीवन के रथ पर चढ़कर
सदा मृत्यु पथ पर बढ़ कर
महाकाल के खरतर शर सह
सकूँ, मुझे तू कर दृढ़तर;
जागे मेरे उर में तेरी
मूर्ति अश्रु जल धौत विमल
दृग जल से पा बल बलि कर दूँ
जननि, जन्म श्रम संचित पल।
बाधाएँ आएँ तन पर
देखूँ तुझे नयन मन भर
मुझे देख तू सजल दृगों से
अपलक, उर के शतदल पर;
क्लेद युक्त, अपना तन दूंगा
मुक्त करूंगा तुझे अटल
तेरे चरणों पर दे कर बलि
सकल श्रेय श्रम संचित फल