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22:40, 24 अक्टूबर 2009 का अवतरण
सप्ताह की कविता | शीर्षक: परसाई जी की बात रचनाकार: नरेश सक्सेना |
पैंतालिस साल पहले, जबलपुर में परसाई जी के पीछे लगभग भागते हुए मैंने सुनाई अपनी कविता और पूछा क्या इस पर ईनाम मिल सकता है "अच्छी कविता पर सज़ा भी मिल सकती है" सुनकर मैं सन्न रह गया क्योंकि उस वक़्त वह छात्रों की एक कविता प्रतियोगिता की अध्यक्षता करने जा रहे थे आज चारों तरफ़ सुनता हूँ वाह-वाह-वाह-वाह, फिर से मंच और मीडिया के लकदक दोस्त लेते हैं हाथों-हाथ सज़ा जैसी कोई सख़्त बात तक नहीं कहता तो शक होने लगता है परसाई जी की बात पर नहीं अपनी कविता पर /pre> <!----BOX CONTENT ENDS------> </div><div class='boxbottom'><div></div></div></div>