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"कृतघ्न / सियाराम शरण गुप्त" के अवतरणों में अंतर

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इन विटपवरों ने हे मरूत् ! मोदकरी,
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व्यथित अब इन्हीं के वह्नि से आज देख
 
व्यथित अब इन्हीं के वह्नि से आज देख
ज्वलित कर रहे हो और भी क्यों विशेष।
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ज्वलित कर रहे हो और भी क्यों विशेष।</poem>

09:11, 1 नवम्बर 2009 के समय का अवतरण

इन विटपवरों ने हे मरूत् ! मोदकरी,
सुरभि सतत देके की सु-सेवा तुम्हारी!
व्यथित अब इन्हीं के वह्नि से आज देख
ज्वलित कर रहे हो और भी क्यों विशेष।