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"औद्योगिक बस्ती / अज्ञेय" के अवतरणों में अंतर

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मानव की आशाएँ ही पल-पल
 
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::उस को छलती जाती हैं।
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'''ओसाका-हिरोशिमा (रेल में), 17 दिसम्बर, 1957'''
 
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17:53, 30 जुलाई 2012 के समय का अवतरण

पहाड़ियों पर घिरी हुई इस छोटी-सी घाटी में
ये मुँहझौंसी चिमनियाँ बराबर
धुआँ उगलती जाती हैं।
भीतर जलते लाल धातु के साथ
कमकरों की दु:साध्य विषमताएँ भी
तप्त उबलती जाती हैं।
बंधी लीक पर रेलें लादें माल
चिहुँकती और रंभाती अफ़राये डाँगर-सी
ठिलती चलती जाती हैं।
उद्यम की कड़ी-कड़ी में बंधते जाते मुक्तिकाम
मानव की आशाएँ ही पल-पल
उस को छलती जाती हैं।

ओसाका-हिरोशिमा (रेल में), 17 दिसम्बर, 1957