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"कौन पढ़ेगा ? / नरेन्द्र मोहन" के अवतरणों में अंतर

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<poem>रचनाकार: नरेन्द्र मोहन</poem>   
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रंगों की बुनावट में चमक है  
 
रंगों की बुनावट में चमक है  
  

22:33, 5 नवम्बर 2009 का अवतरण

रचनाकार: नरेन्द्र मोहन

रंगों की बुनावट में चमक है

अब भी

चमक में छिपा है कोई संदेश

कल का

कल के लिए

गिरती दीवारों पर अंकित है

एक अबूझ लिपि

कौन पढ़ेगा

ढहती इमारत की भाषा ?