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पाँच वर्षों का मुकम्मल / अश्वघोष
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10:17, 3 जनवरी 2010
आप तो संसद में बैठे ऐश ही कारते रहे
और
खाली
ख़ाली
पेट हमने भूख का देखा अज़ाब।
जब तलक हम एक थे
खुशहाल
ख़ुशहाल
थे, आबाद थेआप ने जब
फुट
फूट
डाली
तो
हो गए ख़ाना-ख़राब।
ये नया मौसम हमें कुछ रास आया था मगर
द्विजेन्द्र द्विज
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