{{KKCatKavita}}
<poem>
सारी धरा राम राम जन्म से हुई है धन्यनिर्विवाद सत्य को विवाद से निकालिये निकालिए ।
रोम-रोम में बसे हुए हैं विश्वव्यापी राम
राम का महत्व एक वृत्त में न ढालियेढालिए
वसुधा कुटुंब के समान देखते रहे जो
ये घृणा के सर्प आस्तीन में न पालिये पालिए ।
राम-जन्मभूमि को तो राम ही सँभाल लेंगे
हो सके तो आप मातृभूमि को सँभालिये सँभालिए ।
</poem>