भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"मुक्तक / दुष्यंत कुमार" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
छो ("मुक्तक / दुष्यंत कुमार" सुरक्षित कर दिया ([edit=sysop] (indefinite) [move=sysop] (indefinite)))
पंक्ति 1: पंक्ति 1:
 
{{KKGlobal}}
 
{{KKGlobal}}
 
{{KKRachna
 
{{KKRachna
|रचनाकार= दुष्यंत कुमार  
+
|रचनाकार=दुष्यंत कुमार  
|संग्रह=
+
|संग्रह=सूर्य का स्वागत / दुष्यंत कुमार
 
}}
 
}}
 
{{KKCatKavita‎}}
 
{{KKCatKavita‎}}
 
<poem>
 
<poem>
तरस रहा है मन फूलों की नयी गन्ध पाने को
+
(१)
खिली धूप में, खुली हवा में, गाने-मुसकाने को
+
सँभल सँभल के’ बहुत पाँव धर रहा हूँ मैं
तुम अपने जिस तिमिरपाश में मुझको क़ैद किए हो
+
पहाड़ी ढाल से जैसे उतर रहा हूँ मैं
वह बन्धन ही उकसाता है बाहर आ जाने को
+
क़दम क़दम पे मुझे टोकता है दिल ऐसे
 +
गुनाह कोई बड़ा जैसे कर रहा हूँ मैं।
  
 +
(२)
 +
तरस रहा है मन फूलों की नई गंध पाने को
 +
खिली धूप में, खुली हवा में, गाने मुसकाने को
 +
तुम अपने जिस तिमिरपाश में मुझको क़ैद किए हो
 +
वह बंधन ही उकसाता है बाहर आ जाने को।
 +
 +
(३)
 +
गीत गाकर चेतना को वर दिया मैने
 +
आँसुओं से दर्द को आदर दिया मैने
 +
प्रीत मेरी आत्मा की भूख थी, सहकर
 +
ज़िंदगी का चित्र पूरा कर दिया मैने
 +
 +
(४)
 +
जो कुछ भी दिया अनश्वर दिया मुझे
 +
नीचे से ऊपर तक भर दिया मुझे
 +
ये स्वर सकुचाते हैं लेकिन तुमने
 +
अपने तक ही सीमित कर दिया मुझे।
  
 
'''शब्दार्थ :
 
'''शब्दार्थ :
 
तिमिरपाश = अंधेरे का बंधन
 
तिमिरपाश = अंधेरे का बंधन
 
</poem>
 
</poem>

11:16, 25 नवम्बर 2011 का अवतरण

(१)
सँभल सँभल के’ बहुत पाँव धर रहा हूँ मैं
पहाड़ी ढाल से जैसे उतर रहा हूँ मैं
क़दम क़दम पे मुझे टोकता है दिल ऐसे
गुनाह कोई बड़ा जैसे कर रहा हूँ मैं।

(२)
तरस रहा है मन फूलों की नई गंध पाने को
खिली धूप में, खुली हवा में, गाने मुसकाने को
तुम अपने जिस तिमिरपाश में मुझको क़ैद किए हो
वह बंधन ही उकसाता है बाहर आ जाने को।

(३)
गीत गाकर चेतना को वर दिया मैने
आँसुओं से दर्द को आदर दिया मैने
प्रीत मेरी आत्मा की भूख थी, सहकर
ज़िंदगी का चित्र पूरा कर दिया मैने

(४)
जो कुछ भी दिया अनश्वर दिया मुझे
नीचे से ऊपर तक भर दिया मुझे
ये स्वर सकुचाते हैं लेकिन तुमने
अपने तक ही सीमित कर दिया मुझे।

शब्दार्थ :
तिमिरपाश = अंधेरे का बंधन