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खतरनाक / लाल्टू
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07:42, 24 मई 2010
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}}
{{KKCatKavita}}
<poem>जो नियमित हैं उनका अनियम।
जो संतुलित उनका असंतुलन।
जो वाहवाही करते हैं उनकी चैन की नीद
बिना नमक की दाल में ज्यादा पड़ा हींग।
</poem>
अनिल जनविजय
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