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"जागृति / इन्साफ़ की डगर पे बच्चो दिखाओ चल के" के अवतरणों में अंतर

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(इस गीत के रचनाकार शकील बादायूंनी हैं। यह 1961 में बनी हिन्दी फिल्म ”गंगा जमुना“ का गीत है। जिसके ग)
 
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इन्साफ की डगर पे, बच्चों दिखाओ चल के<br/>
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ये देश है तुम्हारा, नेता तुम ही हो कल के<br />
  
इन्साफ की डगर पे, बच्चों दिखाओ चल के
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दुनियाँ के रंज सहना और कुछ ना मुँह से कहना<br />
ये देश है तुम्हारा, नेता तुम ही हो कल के
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सच्चाईयों के बल पे, आगे को बढ़ते रहना<br />
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रख दोगे एक दिन तुम, संसार को बदल के<br />
  
दुनियाँ के रंज सहना और कुछ ना मुँह से कहना
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अपने हों या पराये, सब के लिए हो न्याय<br />
सच्चाईयों के बल पे, आगे को बढ़ते रहना
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देखो कदम तुम्हारा, हरगि‍ज ना डगमगाए<br />
रख दोगे एक दिन तुम, संसार को बदल के
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रस्ते बडे कठि‍न हैं, चलना संभल-संभल के<br />
  
अपने हों या पराये, सब के लिए हो न्याय
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इन्सानियत के सर पे, इज्जत का ताज रखना<br />
देखो कदम तुम्हारा, हरगि‍ज ना डगमगाए
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तन मन की  देकर भेंट, भारत की लाज रखना<br />
रस्ते बडे कठि‍न हैं, चलना संभल-संभल के
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जीवन नया मिलेगा, अंतिम चिता में जल के<br />
 
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इन्सानियत के सर पे, इज्जत का ताज रखना
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तन मन की  देकर भेंट, भारत की लाज रखना
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जीवन नया मिलेगा, अंतिम चिता में जल के
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17:38, 26 नवम्बर 2009 का अवतरण

इन्साफ की डगर पे, बच्चों दिखाओ चल के
ये देश है तुम्हारा, नेता तुम ही हो कल के

दुनियाँ के रंज सहना और कुछ ना मुँह से कहना
सच्चाईयों के बल पे, आगे को बढ़ते रहना
रख दोगे एक दिन तुम, संसार को बदल के

अपने हों या पराये, सब के लिए हो न्याय
देखो कदम तुम्हारा, हरगि‍ज ना डगमगाए
रस्ते बडे कठि‍न हैं, चलना संभल-संभल के

इन्सानियत के सर पे, इज्जत का ताज रखना
तन मन की देकर भेंट, भारत की लाज रखना
जीवन नया मिलेगा, अंतिम चिता में जल के