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"मुठभेड़ के बाद / चंद्र रेखा ढडवाल" के अवतरणों में अंतर
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'''मुठभेड़ के बाद''' | '''मुठभेड़ के बाद''' |
07:44, 1 दिसम्बर 2009 के समय का अवतरण
मुठभेड़ के बाद
आसपास के सारे माहौल को
उसके सारी आकांक्षाओं
सफलताओं/ विफलताओं सहित
जी लेने की कोशिश
कोई बहुत बड़ा अभियान नहीं है
अगर तुमें यह सहूलियत हो
कि तुम किसी भी पेड़ को
आम का और पीपल का पेड कह
अपने मसीहा होने का आतंक फैला
उर्वरा मानस को मरुस्थल में बदल
रेत के पानी होने का भ्रम बनाए
बाँटते फिर सको
ताकि तुम से मुठभेड़ के बाद/ किसी में
ज़िंदा रहने की आकांक्षा के बावजूद जीने की
सामर्थ्य न रह जाए.