भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"बिरजीस राशिद आरफ़ी / परिचय" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
(नया पृष्ठ: {{KKRachnakaarParichay |रचनाकार=बिरजीस राशिद आरफ़ी }} '''जुलाई, १९४३''' को '''क़स्बा …) |
|||
पंक्ति 3: | पंक्ति 3: | ||
|रचनाकार=बिरजीस राशिद आरफ़ी | |रचनाकार=बिरजीस राशिद आरफ़ी | ||
}} | }} | ||
− | + | <poem> | |
'''जुलाई, १९४३''' को '''क़स्बा चाँद्पुर (देहरादून)''' में जन्मे''' जनाबे-बिरजीस राशिद आरफ़ी साहब''' को भारत के लगभग तमाम नामी-गिरामी शायरों की मौजूदगी में अपने फ़न का जादू जगा चुके हैं. "राशिद आरफ़ी साहब की ग़ज़लों का एक-एक शेर, उनके चिन्तन की गहराई और विधा पर उनकी मज़बूत पकड़ का उदाहरण है और उनकी शायरी का जादू सुनने-पढ़ने वालों के सर चढ़कर बोलने की क़ाबिलियत रखता है. यह बात उनका शेरी मजमूआ (काव्य-संग्रह)'''"जैसा भी है"''' पढ़कर महसूस किया जा सकती है. | '''जुलाई, १९४३''' को '''क़स्बा चाँद्पुर (देहरादून)''' में जन्मे''' जनाबे-बिरजीस राशिद आरफ़ी साहब''' को भारत के लगभग तमाम नामी-गिरामी शायरों की मौजूदगी में अपने फ़न का जादू जगा चुके हैं. "राशिद आरफ़ी साहब की ग़ज़लों का एक-एक शेर, उनके चिन्तन की गहराई और विधा पर उनकी मज़बूत पकड़ का उदाहरण है और उनकी शायरी का जादू सुनने-पढ़ने वालों के सर चढ़कर बोलने की क़ाबिलियत रखता है. यह बात उनका शेरी मजमूआ (काव्य-संग्रह)'''"जैसा भी है"''' पढ़कर महसूस किया जा सकती है. | ||
+ | </poem> |
23:15, 2 दिसम्बर 2009 का अवतरण
जुलाई, १९४३ को क़स्बा चाँद्पुर (देहरादून) में जन्मे जनाबे-बिरजीस राशिद आरफ़ी साहब को भारत के लगभग तमाम नामी-गिरामी शायरों की मौजूदगी में अपने फ़न का जादू जगा चुके हैं. "राशिद आरफ़ी साहब की ग़ज़लों का एक-एक शेर, उनके चिन्तन की गहराई और विधा पर उनकी मज़बूत पकड़ का उदाहरण है और उनकी शायरी का जादू सुनने-पढ़ने वालों के सर चढ़कर बोलने की क़ाबिलियत रखता है. यह बात उनका शेरी मजमूआ (काव्य-संग्रह)"जैसा भी है" पढ़कर महसूस किया जा सकती है.