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"आज ही होगा / बालकृष्ण राव" के अवतरणों में अंतर

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मनाना चाहता है आज ही ?  
 
मनाना चाहता है आज ही ?  
 
 
-तो मान ले  
 
-तो मान ले  
 
 
त्यौहार का दिन आज ही होगा !
 
त्यौहार का दिन आज ही होगा !
  
 
उमंगें यूँ अकारण ही नहीं उठती,
 
उमंगें यूँ अकारण ही नहीं उठती,
 
 
न अनदेखे इशारे पर कभी यूँ नाचता मन ;
 
न अनदेखे इशारे पर कभी यूँ नाचता मन ;
 
 
खुले से लग रहे हैं द्वार मंदिर के .
 
खुले से लग रहे हैं द्वार मंदिर के .
 
 
बढ़ा पग-
 
बढ़ा पग-
 
 
मूर्ति के श्रींगार का दिन आज ही होगा !
 
मूर्ति के श्रींगार का दिन आज ही होगा !
  
 
न जाने आज क्योँ दिल चाहता है-
 
न जाने आज क्योँ दिल चाहता है-
 
 
स्वर मिला कर  
 
स्वर मिला कर  
 
 
अनसुने स्वर में किसी की कर उठे जयकार!
 
अनसुने स्वर में किसी की कर उठे जयकार!
 
 
न जाने क्यूँ  
 
न जाने क्यूँ  
 
 
बिना पाए हुए भी दान याचक मन ,
 
बिना पाए हुए भी दान याचक मन ,
 
 
विकल है वयक्त करने के लिए आभार !
 
विकल है वयक्त करने के लिए आभार !
  
कोई तो,कंही तो
+
कोई तो,कंही तो
 
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प्रेरणा का श्रोत होगा ही-
 
प्रेरणा का श्रोत होगा ही-
 
 
उमंगें यूँ अकारण ही नहीं उठती ,
 
उमंगें यूँ अकारण ही नहीं उठती ,
 
 
नदी में बाढ़ आई है कंही पानी गिरा होगा  !
 
नदी में बाढ़ आई है कंही पानी गिरा होगा  !
  
 
अचानक सिथिल-बंधन  हो रहा है  आज  
 
अचानक सिथिल-बंधन  हो रहा है  आज  
 
 
मोक्ष्सान बंदी मन -
 
मोक्ष्सान बंदी मन -
 
 
किसी की तो कंही कोई भगीरथ -साधना पूरी हुई होगी,
 
किसी की तो कंही कोई भगीरथ -साधना पूरी हुई होगी,
 
 
किसी भागीरथी के भूमि पर अवतार का दी आज ही होगा !
 
किसी भागीरथी के भूमि पर अवतार का दी आज ही होगा !
  
 
मनाना चाहता है आज ही ?  
 
मनाना चाहता है आज ही ?  
 
 
-तो मान ले  
 
-तो मान ले  
 
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19:29, 26 दिसम्बर 2009 का अवतरण

 
मनाना चाहता है आज ही ?
-तो मान ले
त्यौहार का दिन आज ही होगा !

उमंगें यूँ अकारण ही नहीं उठती,
न अनदेखे इशारे पर कभी यूँ नाचता मन ;
खुले से लग रहे हैं द्वार मंदिर के .
बढ़ा पग-
मूर्ति के श्रींगार का दिन आज ही होगा !

न जाने आज क्योँ दिल चाहता है-
स्वर मिला कर
अनसुने स्वर में किसी की कर उठे जयकार!
न जाने क्यूँ
बिना पाए हुए भी दान याचक मन ,
विकल है वयक्त करने के लिए आभार !

कोई तो,कंही तो
प्रेरणा का श्रोत होगा ही-
उमंगें यूँ अकारण ही नहीं उठती ,
नदी में बाढ़ आई है कंही पानी गिरा होगा  !

अचानक सिथिल-बंधन हो रहा है आज
मोक्ष्सान बंदी मन -
किसी की तो कंही कोई भगीरथ -साधना पूरी हुई होगी,
किसी भागीरथी के भूमि पर अवतार का दी आज ही होगा !

मनाना चाहता है आज ही ?
-तो मान ले
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