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"यादों के सहारे / भावना कुँअर" के अवतरणों में अंतर

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कल जब वो  
 
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मेरी गोद में आया,
 
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बहुत मासूम !
 
बहुत मासूम !
 
 
बहुत कोमल !
 
बहुत कोमल !
 
 
इस संग दिल दुनिया से
 
इस संग दिल दुनिया से
 
 
अछूता सा,
 
अछूता सा,
 
 
शान्त!
 
शान्त!
 
 
बिल्कुल शान्त !
 
बिल्कुल शान्त !
 
 
ना कोई धड़कन
 
ना कोई धड़कन
 
 
ना ही कोई हलचल।
 
ना ही कोई हलचल।
 
 
मेरा सलौना,
 
मेरा सलौना,
 
 
मेरा नन्हा,
 
मेरा नन्हा,
 
 
बिना धड़कन के मेरी बाहों में।
 
बिना धड़कन के मेरी बाहों में।
 
 
नहीं भूल पाती  
 
नहीं भूल पाती  
 
 
उसका मासूम चेहरा,
 
उसका मासूम चेहरा,
 
 
नहीं भूल पाती
 
नहीं भूल पाती
 
 
उसका स्पर्श।
 
उसका स्पर्श।
 
 
बस जी रहीं हूँ  
 
बस जी रहीं हूँ  
 
 
उसकी यादों के सहारे।
 
उसकी यादों के सहारे।
 
 
देखती हूँ  
 
देखती हूँ  
 
 
हर रात उसका चेहरा
 
हर रात उसका चेहरा
 
 
टिमटिमाते तारों के बीच
 
टिमटिमाते तारों के बीच
 
 
और जब भी कोई तारा
 
और जब भी कोई तारा
 
 
ज्यादा प्रकाशमान होता है,
 
ज्यादा प्रकाशमान होता है,
 
 
लगता है मेरा नन्हा  
 
लगता है मेरा नन्हा  
 
 
लौट आया है
 
लौट आया है
 
 
तारा बनकर
 
तारा बनकर
 
 
और कहता है-
 
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"मत रो माँ मैं यहीं हूँ  
 
"मत रो माँ मैं यहीं हूँ  
 
 
तुम्हारे सामने
 
तुम्हारे सामने
 
 
मैं रोज़ देखा करता हूँ तुम्हें
 
मैं रोज़ देखा करता हूँ तुम्हें
 
 
यूँ ही रोते हुये
 
यूँ ही रोते हुये
 
 
मेरा दिल दुखता है माँ
 
मेरा दिल दुखता है माँ
 
 
तुम्हें यूँ देखकर
 
तुम्हें यूँ देखकर
 
 
मैं तो आना चाहता था,
 
मैं तो आना चाहता था,
 
 
किन्तु नहीं आने दिया  
 
किन्तु नहीं आने दिया  
 
 
एक डॉक्टर की लापरवाही ने मुझे
 
एक डॉक्टर की लापरवाही ने मुझे
 
 
मिटा ही डाला मेरा वज़ूद
 
मिटा ही डाला मेरा वज़ूद
 
 
इस दुनिया से,
 
इस दुनिया से,
 
 
पर माँ तुम चिन्ता मत करो
 
पर माँ तुम चिन्ता मत करो
 
 
मैं यहाँ खुश हूँ
 
मैं यहाँ खुश हूँ
 
 
क्योंकि मैं मिलता हूँ रोज़ ही तुमसे
 
क्योंकि मैं मिलता हूँ रोज़ ही तुमसे
 
 
तुम भी देखा करो मुझे वहाँ से।
 
तुम भी देखा करो मुझे वहाँ से।
 
 
नहीं छीन पायेगी ये दुनिया
 
नहीं छीन पायेगी ये दुनिया
 
 
अब कभी भी
 
अब कभी भी
 
 
ये मिलन हमारा…..
 
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14:36, 29 दिसम्बर 2009 के समय का अवतरण

कल जब वो
मेरी गोद में आया,
बहुत मासूम !
बहुत कोमल !
इस संग दिल दुनिया से
अछूता सा,
शान्त!
बिल्कुल शान्त !
ना कोई धड़कन
ना ही कोई हलचल।
मेरा सलौना,
मेरा नन्हा,
बिना धड़कन के मेरी बाहों में।
नहीं भूल पाती
उसका मासूम चेहरा,
नहीं भूल पाती
उसका स्पर्श।
बस जी रहीं हूँ
उसकी यादों के सहारे।
देखती हूँ
हर रात उसका चेहरा
टिमटिमाते तारों के बीच
और जब भी कोई तारा
ज्यादा प्रकाशमान होता है,
लगता है मेरा नन्हा
लौट आया है
तारा बनकर
और कहता है-
"मत रो माँ मैं यहीं हूँ
तुम्हारे सामने
मैं रोज़ देखा करता हूँ तुम्हें
यूँ ही रोते हुये
मेरा दिल दुखता है माँ
तुम्हें यूँ देखकर
मैं तो आना चाहता था,
किन्तु नहीं आने दिया
एक डॉक्टर की लापरवाही ने मुझे
मिटा ही डाला मेरा वज़ूद
इस दुनिया से,
पर माँ तुम चिन्ता मत करो
मैं यहाँ खुश हूँ
क्योंकि मैं मिलता हूँ रोज़ ही तुमसे
तुम भी देखा करो मुझे वहाँ से।
नहीं छीन पायेगी ये दुनिया
अब कभी भी
ये मिलन हमारा…..