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<td rowspan=2>&nbsp;<font size=4>सप्ताह की कविता</font></td>
 
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<td>&nbsp;&nbsp;'''शीर्षक: '''प्‍यार में डूबी हुई लड़कियाँ-1<br>
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<td>&nbsp;&nbsp;'''शीर्षक: अय तिरंगे शान तेरी<br>
&nbsp;&nbsp;'''रचनाकार:''' [[मनीषा पांडेय]]</td>
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&nbsp;&nbsp;'''रचनाकार:''' [[जगदीश तपिश]]</td>
 
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रेशम के दुपट्टे में टाँकती हैं सितारा
+
अय तिरंगे शान तेरी कम ना होने देंगे हम
देह मल-मलकर नहाती हैं,
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तू हमारा दिल जिगर है तू हमारी जान है
करीने से सजाती हैं बाल
+
तू भरत है तू ही भारत तू ही हिन्दुस्तान है
आँखों में काजल लगाती हैं
+
अय तिरंगे शान तेरी कम ना होने देंगे हम
प्‍यार में डूबी हुई लड़कियाँ...
+
तू हमारी आत्मा है तू हमारी जान है
 
+
मन-ही-मन मुस्‍कुराती हैं अकेले में
+
तेरी खुशबू से महकती देश की माटी हवा
बात-बेबात चहकती
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हर लहर गंगा की तेरे गीत गाती है सदा
आईने में निहारती अपनी छातियों को
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तू हिमालय के शिखर पर कर रहा अठखेलियां
कनखियों से
+
तेरी छांव में थिरकती प्यार की सौ बोलियां
ख़ुद ही शरमा‍कर नज़रें फिराती हैं
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तू हमारा धर्म है मजहब है तू ईमान है
प्‍यार में डूबी हुई लड़कियाँ...
+
 
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जागरण है रंग केसरिया तेरे अध्यात्म का
डाकिए का करती हैं इंतज़ार
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चक्र सीने पर है तेरे स्फुरित विश्वास का
मन-ही-मन लिखती हैं जवाब
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भारती की आंख का तारा बना है रंग हरा
आने वाले ख़त का
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तू दीवाली तू ही होली और तू ही दशहरा 
पिछले दफ़ा मिले एक चुंबन की स्‍मृति
+
आस्था है तू जवानों की वतन की आन है
हीरे की तरह संजोती हैं अपने भीतर
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प्‍यार में डूबी हुई लड़कियाँ...
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तू शहीदों की शहादत से लिपटकर जब चला
 
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भारती के लाल की तुरबत से उठ के जब चला
प्‍यार में डूबी हुई लड़कियाँ
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आंख भर आई करोडों सर झुके सम्मान में  
नदी हो जाती हैं
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देखते हैं हम तुझे हर वीर के मन प्राण में  
और पतंग भी
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देश का बचपन जवानी तुझ पे सब कुर्बान है  
कल-कल करती बहती हैं
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नाप लेती है सारा आसमान
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किसी रस्‍सी से नहीं बंधती
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प्‍यार में डूबी हुई लड़कियाँ...
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19:00, 26 जनवरी 2010 का अवतरण

Lotus-48x48.png  सप्ताह की कविता   शीर्षक: अय तिरंगे शान तेरी
  रचनाकार: जगदीश तपिश
अय तिरंगे शान तेरी कम ना होने देंगे हम 
तू हमारा दिल जिगर है तू हमारी जान है 
तू भरत है तू ही भारत तू ही हिन्दुस्तान है 
अय तिरंगे शान तेरी कम ना होने देंगे हम 
तू हमारी आत्मा है तू हमारी जान है 
 
तेरी खुशबू से महकती देश की माटी हवा 
हर लहर गंगा की तेरे गीत गाती है सदा 
तू हिमालय के शिखर पर कर रहा अठखेलियां 
तेरी छांव में थिरकती प्यार की सौ बोलियां 
तू हमारा धर्म है मजहब है तू ईमान है 
 
जागरण है रंग केसरिया तेरे अध्यात्म का 
चक्र सीने पर है तेरे स्फुरित विश्वास का 
भारती की आंख का तारा बना है रंग हरा 
तू दीवाली तू ही होली और तू ही दशहरा  
आस्था है तू जवानों की वतन की आन है 
 
तू शहीदों की शहादत से लिपटकर जब चला 
भारती के लाल की तुरबत से उठ के जब चला 
आंख भर आई करोडों सर झुके सम्मान में 
देखते हैं हम तुझे हर वीर के मन प्राण में 
देश का बचपन जवानी तुझ पे सब कुर्बान है