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"लोहड़ी का गीत / पंजाबी" के अवतरणों में अंतर

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पंजाब में लोहड़ी त्यौहार आने के कई दिन पहले युवा लड़के-लड़कियां द्वार द्वार पर जा कर गाना गा गा कर लकड़ियाँ तथा मेवा मांग कर इकट्ठा कर लोहड़ी की रात आग जला कर नाचते गातें व फल मेवा खाते हैं।
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कंडा कंडा नी लकडियो कंडा सी  
 
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इस कंडे दे नाल कलीरा सी  
 
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तेरे जीवन सके पुत्त,  
 
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सक्के पुत्तां दी वदाई,  
 
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वोटी छम छम करदी आई।
 
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10:52, 30 जनवरी 2010 के समय का अवतरण

   ♦   रचनाकार: अज्ञात

पंजाब में लोहड़ी त्यौहार आने के कई दिन पहले युवा लड़के-लड़कियां द्वार द्वार पर जा कर गाना गा गा कर लकड़ियाँ तथा मेवा मांग कर इकट्ठा कर लोहड़ी की रात आग जला कर नाचते गातें व फल मेवा खाते हैं।

कंडा कंडा नी लकडियो कंडा सी
इस कंडे दे नाल कलीरा सी
जुग जीवे नी भाबो तेरा वीरा सी,
पा माई पा, काले कुत्ते नू वी पा
कला कुत्ता दवे वदायइयाँ,
तेरियां जीवन मझियाँ गईयाँ,
मझियाँ गईयाँ दित्ता दुध,
तेरे जीवन सके पुत्त,
सक्के पुत्तां दी वदाई,
वोटी छम छम करदी आई।