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'''जहाँ'''
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|रचनाकार=प्रयाग शुक्ल
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हम बहुत दूर जाकर<br />
 
हम बहुत दूर जाकर<br />

21:52, 3 फ़रवरी 2010 के समय का अवतरण

हम बहुत दूर जाकर
वहाँ हैं
जहाँ समय की बाहें
हमारे लिए खुली नहीं हैं.