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"उर तिमिरमय घर तिमिरमय / महादेवी वर्मा" के अवतरणों में अंतर

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उर तिमिरमय घर विमिरमय
 
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काँच से टूटे पड़े यह  
 
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स्वप्न, भूलें, मान तेरे;
 
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फूलप्रिय पथ शूलमय
 
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पलकें बिछा सुकुमार ले!
 
पलकें बिछा सुकुमार ले!
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तृषित जीवन में घिर घन-
 
तृषित जीवन में घिर घन-
 
बन; उड़े जो श्वास उर से;
 
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पलक-सीपी में हुए मुक्ता
 
पलक-सीपी में हुए मुक्ता
 
सुकोमल और बरसे;
 
सुकोमल और बरसे;

17:29, 4 फ़रवरी 2010 का अवतरण

उर तिमिरमय घर विमिरमय
चल सजनि दीपक बार ले!

राह में रो रो गये हैं
रात और विहान तेरे
काँच से टूटे पड़े यह
स्वप्न, भूलें, मान तेरे;
फूलप्रिय पथ शूलमय
पलकें बिछा सुकुमार ले!

तृषित जीवन में घिर घन-
बन; उड़े जो श्वास उर से;
पलक-सीपी में हुए मुक्ता
सुकोमल और बरसे;
मिट रहे नित धूलि में
तू गूँथ इनका हार ले !

मिलन वेला में अलस तू
सो गयी कुछ जाग कर जब,
फिर गया वह, स्वप्न में
मुस्कान अपनी आँक कर तब।
आ रही प्रतिध्वनि वही फिर
नींद का उपहार ले !
चल सजनि दीपक बार ले !