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"नासमझ यह मोहन ठकुरी / मोहन ठकुरी" के अवतरणों में अंतर

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उसके अपने कभी अपने नही हुए  
 
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अधूरे सपनों को गले लगाकर  
 
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बैठा यह मोहन ठकुरी
 
बैठा यह मोहन ठकुरी
 
 
गमले के कैकटस जैसा  
 
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न फूल सकता है, न फैल सकता है!
 
न फूल सकता है, न फैल सकता है!
 
 
उसकी हँसी कृत्रिम है
 
उसकी हँसी कृत्रिम है
 
 
अव्यक्त व्यथा-वेदनाओं में लिपटकर
 
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बैठा यह मोहन ठकुरी
 
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किसी के मन में माया बनकर रह नही सकता  
 
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किसी की आँखों में आँसू बनकर छलक नही सकता !
 
किसी की आँखों में आँसू बनकर छलक नही सकता !
  
(अनुवाद : स्वयं )
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'''इस कविता का अनुवाद स्वयं कवि ने किया है।
 
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21:11, 6 फ़रवरी 2010 का अवतरण

उसके अपने कभी अपने नही हुए
अधूरे सपनों को गले लगाकर
बैठा यह मोहन ठकुरी
गमले के कैकटस जैसा
न फूल सकता है, न फैल सकता है!
उसकी हँसी कृत्रिम है
अव्यक्त व्यथा-वेदनाओं में लिपटकर
बैठा यह मोहन ठकुरी
किसी के मन में माया बनकर रह नही सकता
किसी की आँखों में आँसू बनकर छलक नही सकता !

इस कविता का अनुवाद स्वयं कवि ने किया है।