"अनायास ही / कुमार सुरेश" के अवतरणों में अंतर
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फिलवक्त इस जगह पर | फिलवक्त इस जगह पर | ||
हम इतने यह और उतने वह | हम इतने यह और उतने वह | ||
इतना बनाया और इकठ्ठा किया | इतना बनाया और इकठ्ठा किया | ||
− | क्योकि अनायास ही | + | क्योकि अनायास ही जहाँ मौजूद थे |
वह सही वक्त और सही जगह थी | वह सही वक्त और सही जगह थी | ||
गलत वक्त गलत जगह पर कभी नहीं थे हम </poem> | गलत वक्त गलत जगह पर कभी नहीं थे हम </poem> |
20:51, 15 फ़रवरी 2010 का अवतरण
अनायास ही
हम अनचाहा गर्भ नहीं थे
हत्या कर नाली में बहाया नहीं गया
माँ की छाती में हमारा पेट भरने के लिए दूध था
खाली थे उसके हाथ हमें थामने के लिए
वह गाड़ी चूक गयी हमसे
जो मिलती तो पहुचती कभी नहीं
निकली ही थी ट्रेन
स्टेशन पर गोली चली
उस विमान पर नहीं था बम
जिस पर हम सवार हुए
सड़क पर कितनी ही बार
गिन्दगी और मौत के बीच दुआ सलाम हुई
घर में बचे रहे खुद के बिछाए फंदों से
बीमारिया चूकती रही निशाना
आकाश की बिजली घर पर नहीं गिरी
जब सुनामी आई हम मरीना बीच पर नहीं थे
धरती थर्राई नहीं थे हम भुज में
हम स्टेटस में नहीं थे नौ ग्यारह के रोज
श्रीनगर अहमदाबाद में नहीं थे
जब बम फूटा
हम इस बक्त भी वहा कही नहीं है
जीवन हार रहा है जहाँ म्रत्यु से
फिलवक्त इस जगह पर
हम इतने यह और उतने वह
इतना बनाया और इकठ्ठा किया
क्योकि अनायास ही जहाँ मौजूद थे
वह सही वक्त और सही जगह थी
गलत वक्त गलत जगह पर कभी नहीं थे हम