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"कहो रामजी / शांति सुमन" के अवतरणों में अंतर
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वहीं नहीं अयोध्या केवल | वहीं नहीं अयोध्या केवल | ||
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आँखों में मन में सौ जंगल | आँखों में मन में सौ जंगल | ||
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जाओगे तो जान एक दिन | जाओगे तो जान एक दिन | ||
− | बाजारों के गान | + | बाजारों के गान एक दिन |
फिर-फिर लौटोगे लहरों से | फिर-फिर लौटोगे लहरों से | ||
इस इजोत के भाव हैं मलिन | इस इजोत के भाव हैं मलिन | ||
अभी सुबह से सँझियाए हो । | अभी सुबह से सँझियाए हो । | ||
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02:27, 3 जनवरी 2011 के समय का अवतरण
कहो रामजी, कब आए हो
अपना घर दालान छोड़कर
पोखर-पान-मखान छोड़कर
छानी पर लौकी की लतरें
कोशी-कूल कमान छोड़कर
नए-नए से टुसियाए हो ।
गाछी-बिरछी को सूनाकर
जौ-जवार का दुख दूनाकर
सपनों का शुभ-लाभ जोड़ते
पोथी-पतरा को सगुनाकर
नयी हवा से बतियाए हो
वहीं नहीं अयोध्या केवल
कुछ भी नहीं यहाँ है समतल
दिन पर दिन उगते रहते हैं
आँखों में मन में सौ जंगल
किस-किस को तुम पतियाए हो
जाओगे तो जान एक दिन
बाजारों के गान एक दिन
फिर-फिर लौटोगे लहरों से
इस इजोत के भाव हैं मलिन
अभी सुबह से सँझियाए हो ।