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साँचा:KKPoemOfTheWeek

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<tr><td rowspan=2>[[चित्र:Lotus-48x48.png|middle]]</td>
<td rowspan=2>&nbsp;<font size=4>सप्ताह की कविता</font></td>
<td>&nbsp;&nbsp;'''शीर्षक : खेलत फाग औरत की ज़िन्दगी <br>&nbsp;&nbsp;'''रचनाकार:''' [[रसखानरघुवीर सहाय ]]</td>
</tr>
</table>
<pre style="overflow:auto;height:21em;background:transparent; border:none; font-size:14px">
खेलत फाग सुहाग भरी,
अनुरागहिं लालन क धरि कै ।
भारत कुंकुम, केसर की
पिचकारिन में रंग को भरि कै ॥
गेरत लाल गुलाल लली, कई कोठरियाँ थीं कतार मेंमनमोहन मौज मिटा करि कै ।उनमें किसी में एक औरत ले जाई गईथोड़ी देर बाद उसका रोना सुनाई दिया
जात चली रसखान अली, उसी रोने से हमें जाननी थी एक पूरी कथामदमस्त मनी मन कों हरि कै ॥उसके बचपन से जवानी तक की कथा
</pre>
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</div><div class='boxbottom_lk'><div></div></div></div>
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