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"बेगानी शादी में अब्दुल्ला दीवाना / शैलेन्द्र" के अवतरणों में अंतर

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ओ रे माझी, ओ रे माझी, ओ ओ मेरे माझी<br />
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मेरे साजन हैं उस पार, मैं मन मार, हूँ इस पार<br />
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ओ मेरे माझी, अबकी बार, ले चल पार, ले चल पार<br />
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|रचनाकार=शैलेन्द्र
मेरे साजन हैं उस पार...<br />
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[[Category:गीत]]
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बेगानी शादी में अब्दुल्ला दीवाना
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ऐसे मनमौजी को मुश्किल है समझाना - है ना
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बेगानी शादी में ...
  
हो मन की किताब से तू, मेरा नाम ही मिटा देना<br />
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दुल्हन बनूँगी मैं, डोली चढ़ूँगी मैं
गुन तो न था कोई भी, अवगुन मेरे भुला देना<br />
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दूर कहीं बालम के, दिल में रहूँगी मैं
मुझको आज की बिदा का मर के भी रहता इंतज़ार<br />
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तुम तो पराए हो, यूँ ही ललचाए हो
मेरे साजन...<br />
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जाने किस दुनिया से, जाने क्यूँ आए हो
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बेगानी शादी में ...
  
मत खेल जल जाएगी, कहती है आग मेरे मन की<br />
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लहराती जाऊँ मैं, बल खाती जाऊँ मैं
मैं बंदिनी पिया की, मैँ संगिनी हूँ साजन की<br />
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खड़ी-खड़ी रस्ते में, पायल बजाऊँ मैं
मेरा खींचती है आँचल, मन मीत तेरी हर पुकार<br />
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पलकें बिछाऊँ मैं, दिल में बुलाऊँ मैं
मेरे साजन हैं उस पार<br />
+
समझे न कुछ भी वो, कैसे समझाऊँ मैं
ओ रे माझी ओ रे माझी ओ ओ मेरे माझी<br />
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बेगानी शादी में ...
मेरे साजन हैं उस पार...
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बेगानी शादी में अब्दुल्ला दीवाना
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दिल की इन बातों को मुश्किल है समझाना
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अपना बेगाना कौन, जाना अनजाना कौन
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अपने दिल से पूछो, दिल को पहचाना कौन
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पल में लुट जाता है, यूँ ही बह जाता है
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शादी किसी की हो, अपना दिल गाता है
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बेगानी शादी में ...
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</poem>

10:48, 1 मार्च 2010 के समय का अवतरण

बेगानी शादी में अब्दुल्ला दीवाना
ऐसे मनमौजी को मुश्किल है समझाना - है ना
बेगानी शादी में ...

दुल्हन बनूँगी मैं, डोली चढ़ूँगी मैं
दूर कहीं बालम के, दिल में रहूँगी मैं
तुम तो पराए हो, यूँ ही ललचाए हो
जाने किस दुनिया से, जाने क्यूँ आए हो
बेगानी शादी में ...

लहराती जाऊँ मैं, बल खाती जाऊँ मैं
खड़ी-खड़ी रस्ते में, पायल बजाऊँ मैं
पलकें बिछाऊँ मैं, दिल में बुलाऊँ मैं
समझे न कुछ भी वो, कैसे समझाऊँ मैं
बेगानी शादी में ...

बेगानी शादी में अब्दुल्ला दीवाना
दिल की इन बातों को मुश्किल है समझाना

अपना बेगाना कौन, जाना अनजाना कौन
अपने दिल से पूछो, दिल को पहचाना कौन
पल में लुट जाता है, यूँ ही बह जाता है
शादी किसी की हो, अपना दिल गाता है
बेगानी शादी में ...