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"सड़क और जूतियाँ / संध्या पेडणेकर" के अवतरणों में अंतर

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[[सड़क और जूतियाँ / संध्या पेडण॓कर]]
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कमसिन कम्मो ने  
 
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बुढाती निम्मो के गले में  
 
बुढाती निम्मो के गले में  
बाहें डाल कहा,  
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बाँहें डाल कहा,  
'आखिर.....
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उसने मुझे रख ही लिया!!!'
 
उसने मुझे रख ही लिया!!!'
  
 
झटके से उसे अपने से  
 
झटके से उसे अपने से  
अलाग कर निम्मो बोली,
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अलग कर निम्मो बोली,
 
'मुए को रसभरी ककड़ी  
 
'मुए को रसभरी ककड़ी  
मुफ्त की मिली.......'
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मुफ्त की मिली....'
  
 
कम्मो की सपनीली आँखों ने कहा,
 
कम्मो की सपनीली आँखों ने कहा,
 
'मैं उससे प्रेम करती हूँ.... और...
 
'मैं उससे प्रेम करती हूँ.... और...
मेरा प्रेम प्रतिदान नहीं मांगता.....'
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मेरा प्रेम प्रतिदान नहीं माँगता...'
  
निम्मो बोली, ' सही है लेकिन,  
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निम्मो बोली, 'सही है लेकिन,  
 
दुनिया तो तुझे रांड ही कहेगी,
 
दुनिया तो तुझे रांड ही कहेगी,
 
तू कभी उसकी बीवी नहीं बनेगी
 
तू कभी उसकी बीवी नहीं बनेगी

20:00, 1 मार्च 2010 के समय का अवतरण

कमसिन कम्मो ने
बुढाती निम्मो के गले में
बाँहें डाल कहा,
'आख़िर.....
उसने मुझे रख ही लिया!!!'

झटके से उसे अपने से
अलग कर निम्मो बोली,
'मुए को रसभरी ककड़ी
मुफ्त की मिली....'

कम्मो की सपनीली आँखों ने कहा,
'मैं उससे प्रेम करती हूँ.... और...
मेरा प्रेम प्रतिदान नहीं माँगता...'

निम्मो बोली, 'सही है लेकिन,
दुनिया तो तुझे रांड ही कहेगी,
तू कभी उसकी बीवी नहीं बनेगी
घर में उसके आगे बीवी बिछेगी
बाहर उसे तू पलकों पर रखेगी

दो जूतियाँ पैरों में चढ़ा कर
वह सीना तान कर
नई सड़क को कुचलने के लिए
आजाद है!'