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08:28, 15 मार्च 2010 के समय का अवतरण
मेरे मन की व्यथा कथा है ये मेरा कविता का जग कथा व्यर्थ है व्यथा मर्त्य है सनातन ये दुनिया ये जग (१)
मखमली सी ज़मी धरती की आस्मां का नीला ये बदन स्थान कहाँ है व्यथा कथा का मुखरित हो सारा जीवन