"बॉर्डर / मेरे दुश्मन मेरे भाई" के अवतरणों में अंतर
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+ | बर्बादी के सारे मंजर कुछ कहते हैं | ||
+ | मेरे दुश्मन, मेरे भाई, मेरे हमसाये | ||
− | मेरे दुश्मन, मेरे भाई, मेरे हमसाये | + | सन्नाटे की गहरी छाँव, ख़ामोशी से जलते गाँव |
− | मुझे से तुझ से, हम दोनों से ये जलते घर कुछ कहते हैं | + | ये नदियों पर टूटे हुए पुल, धरती घायल और व्याकुल |
− | बर्बादी के सारे मंजर कुछ कहते हैं | + | ये खेत ग़मों से झुलसे हुए, ये खाली रस्ते सहमे हुए |
− | मेरे दुश्मन, मेरे भाई, मेरे हमसाए | + | ये मातम करता सारा समां, ये जलते घर ये काला धुआं |
+ | मेरे दुश्मन, मेरे भाई, मेरे हमसाये | ||
+ | मुझे से तुझ से, हम दोनों से ये जलते घर कुछ कहते हैं | ||
+ | बर्बादी के सारे मंजर कुछ कहते हैं | ||
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− | + | इस सरहद पर फुन्कारेगा कब तक नफरत का ये अजगर | |
− | + | हम अपने अपने खेतो में, गेहूँ की जगह चावल की जगह | |
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− | मेरे दुश्मन, मेरे भाई, मेरे हमसाये | + | जब दोनों ही की गलियों में, कुछ भूखे बच्चे रोते हैं |
− | + | आ खाएं कसम अब जंग नहीं होने पाए | |
− | + | ओर उस दिन का रस्ता देंखें, | |
− | + | जब खिल उठे तेरा भी चमन, जब खिल उठे मेरा भी चमन | |
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− | बर्बादी के सारे मंजर, सब | + | |
− | इस सरहद पर फुन्कारेगा कब तक नफरत का ये अजगर | + | |
− | हम अपने अपने खेतो में, | + | |
− | ये | + | |
− | जब दोनों ही की गलियों में, कुछ भूखे बच्चे रोते हैं | + | |
− | आ खाएं कसम | + | |
− | ओर उस दिन का रस्ता देंखें, | + | |
− | जब खिल उठे तेरा भी | + | |
− | तेरा भी वतन मेरा भी वतन, मेरा भी वतन तेरा भी वतन | + | |
− | + | ||
− | मेरे दोस्त, मेरे भाई, मेरे हमसाये | + |
21:00, 19 मार्च 2010 के समय का अवतरण
रचनाकार: जावेद अख़्तर |
जंग तो चंद रोज होती है , जिन्दगी बरसों तलक रोती है
बारूद से बोझल सारी फिज़ा, है मोत की बू फैलाती हवा
जख्मों पे है छाई लाचारी, गलियों में है फिरती बीमारी
ये मरते बच्चे हाथों में, ये माओं का रोना रातों में
मुर्दा बस्ती मुर्दा है नगर, चेहरे पत्थर हैं दिल पत्थर
मेरे दुश्मन, मेरे भाई, मेरे हमसाये
मुझे से तुझ से, हम दोनों से, सुन ये पत्थर कुछ कहते हैं
बर्बादी के सारे मंजर कुछ कहते हैं
मेरे दुश्मन, मेरे भाई, मेरे हमसाये
सन्नाटे की गहरी छाँव, ख़ामोशी से जलते गाँव
ये नदियों पर टूटे हुए पुल, धरती घायल और व्याकुल
ये खेत ग़मों से झुलसे हुए, ये खाली रस्ते सहमे हुए
ये मातम करता सारा समां, ये जलते घर ये काला धुआं
मेरे दुश्मन, मेरे भाई, मेरे हमसाये
मुझे से तुझ से, हम दोनों से ये जलते घर कुछ कहते हैं
बर्बादी के सारे मंजर कुछ कहते हैं
मेरे दुश्मन, मेरे भाई, मेरे हमसाए
मेरे दुश्मन, मेरे भाई, मेरे हमसाये
चेहरों के, दिलों के ये पत्थर, ये जलते घर
बर्बादी के सारे मंजर, सब तेरे नगर सब मेरे नगर, ये कहते हैं
इस सरहद पर फुन्कारेगा कब तक नफरत का ये अजगर
हम अपने अपने खेतो में, गेहूँ की जगह चावल की जगह
ये बन्दूके क्यों बोते हैं
जब दोनों ही की गलियों में, कुछ भूखे बच्चे रोते हैं
आ खाएं कसम अब जंग नहीं होने पाए
ओर उस दिन का रस्ता देंखें,
जब खिल उठे तेरा भी चमन, जब खिल उठे मेरा भी चमन
तेरा भी वतन मेरा भी वतन, मेरा भी वतन तेरा भी वतन
मेरे दोस्त, मेरे भाई, मेरे हमसाये