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"अगर मैं हो पाता / अशोक वाजपेयी" के अवतरणों में अंतर
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15:31, 20 मार्च 2010 के समय का अवतरण
अगर मैं हो पाता
उसकी आँखों में पानी की लकीर,
उसके कुचाग्रों का कत्थईपन,
उसकी जाँघ पर पसीने की बूँद,
उसकी शिराओं में से एक में
रक्त जो उसके हृदय से
भाग रहा होता शुद्ध होकर,
एक पुस्तक पर धूल का धब्बा
जिसे वह सप्ताह भर नहीं खोलेगी,
हवा
जो उसके ऊपर गरमाहट-भरी छाई है
जब वह गहरे सोई है,
बर्फ़ का एक फ़ाहा
जो खिड़की के बन्द काँच पर चुपचाप बैठा उसे
निहारता है।
अगर मैं हो पाता...