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"पानी की नींद / एकांत श्रीवास्तव" के अवतरणों में अंतर

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दो आदमी<br />
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दो आदमी
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पार करते हैं सोन
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सॉंझ के झुटपुटे में
कंधों पर कुल्‍हाडियॉं<br />
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तोड़कर पानी की नींद
और सिरों पर लकडियॉं लिये<br />
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इस पार जंगल
लकडियॉं जो जलेंगी उनके घर<br />
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और खुशी से फूलकर<br />
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कुप्‍पा हो जायेंगी रोटियां<br />
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पार करते हैं दो आदमी
कुप्‍पा हो जायेंगे दो घरों के मन<br />
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गमछों में बॉंधकर करौंदे और जामुन
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कंधों पर कुल्‍हाडियॉं
हरहराता है जंगल<br />
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उन्‍हें विदा देने <br />
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लकडियॉं जो जलेंगी उनके घर
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और खुशी से फूलकर
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कुप्‍पा हो जाएँगी रोटियाँ
और वापस लौट जाती है<br />
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कुप्‍पा हो जाएँगे दो घरों के मन
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उनके जाने के बाद भी <br />
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हरहराता है जंगल
देर रात तक<br />
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जागता रहता है पानी.<br />
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उन्‍हें विदा देने  
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सोने के किनारे तक आती है
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मकोई के फूलों की गंध
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और वापस लौट जाती है
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उनके जाने के बाद भी  
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देर रात तक
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जागता रहता है पानी।

19:05, 28 अप्रैल 2010 के समय का अवतरण

दो आदमी
पार करते हैं सोन
सॉंझ के झुटपुटे में
तोड़कर पानी की नींद

इस पार जंगल
उस पार गाँव
और बीच में सोन
पार करते हैं दो आदमी
गमछों में बॉंधकर करौंदे और जामुन
कंधों पर कुल्‍हाडियॉं
और सिरों पर लकडियॉं लिये

लकडियॉं जो जलेंगी उनके घर
और खुशी से फूलकर
कुप्‍पा हो जाएँगी रोटियाँ
कुप्‍पा हो जाएँगे दो घरों के मन

हरहराता है जंगल

उन्‍हें विदा देने
सोने के किनारे तक आती है
मकोई के फूलों की गंध
और वापस लौट जाती है

उनके जाने के बाद भी
देर रात तक
जागता रहता है पानी।